रैन दिवस पिय संग रहत हैं, मैं पापिन नहिं जाना।।
मात पिता घर जन्म बीतिया, आया गवन नगिचाना।
आजै मिलो पिया अपने से, करिहो कौन बहाना।।
मानुष जनम तो बिरथा खोये, राम नाम नहिं जाना।
हे सखि मेरो तन मन काँपै, सोई शब्द सुनि काना।।
रोम-रोम जाके परकाशा, ताको निर्मल ज्ञाना।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, करो स्थिर मन ध्याना।।
— गुरु कबीर साहब