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भजन: अब से खबरदार रहो भाई

अब से खबरदार रहो भाई, अब से खबरदार रहो भाई।

गुरु दीन्हा माल खज़ाना, राखो जुगत लगाई।

पाव रती घटने नहिं पावै, दिन दिन होत सवाई।।

क्षमा शील की माला पहनो, ज्ञान वस्त्र लगाई।

दया की टोपी सिर पर दे के, और अधिक बन आई।।

वस्तु पाई गाफ़िल मत रहना, हर दिन करो कमाई।

घट के भीतर चोर लगत हैं, बैठे घात लगाई।।

बाहर ज्ञान रहे सिपाही, भीतर भक्ति अधिकाई।

सुरति ज्योति हर दम सुलगे, कस कर तेल चढ़ाई।।

— गुरु कबीर साहब